Sunil Chhetri Retirement : अलविदा कैप्टन, भारतीय फुटबॉल के जादुई खिलाड़ी सुनील छेत्री का संन्यास

Sunil Chhetri Retirement : सुनील छेत्री का संन्यास और भारतीय फुटबॉल का भविष्य

Sunil Chhetri Retirement
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Sunil Chhetri Retirement : भारतीय फुटबॉल के आकाश पर चमकने वाला एक चमकदार सितारा 6 जून 2024 को हमेशा के लिए अस्त हो जाएगा. वो हैं – सुनील छेत्री. भारतीय फुटबॉल के पर्याय बन चुके इस जादुई खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कहने का फैसला किया है. ये फैसला ना सिर्फ भारतीय फुटबॉल के लिए बल्कि पूरे खेल जगत के लिए एक भावुक क्षण है.

39 साल की उम्र में लिए गए इस संन्यास के फैसले ने हर किसी को चौंका दिया है. दो दशक से अधिक समय तक भारतीय फुटबॉल को अपनी प्रतिभा से रोशन करने वाले सुनील छेत्री ने ना सिर्फ मैदान पर कमाल दिखाए बल्कि टीम का उत्साहवर्धन भी किया. उनका जुनून, जज्बा और खेल के प्रति निष्ठा आने वाले कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर रहेंगी.

आइए, गौर करें सुनील छेत्री के शानदार करियर पर और उनके संन्यास के भारतीय फुटबॉल पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने की कोशिश करें.

सपनों का सफर: सिकंदराबाद से भारतीय फुटबॉल के शिखर तक

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सुनील छेत्री का जन्म 3 अगस्त 1984 को सिकंदराबाद, आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) में हुआ था. बचपन से ही फुटबॉल के प्रति उनका जुनून था. सड़कों पर गेंद के साथ खेलते हुए उनका सपना था किसी दिन राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनना. कड़ी मेहनत और लगातार अभ्यास के दम पर उन्होंने अपना सपना पूरा किया.

साल 2001 में छेत्री को मोहम्मदन स्पोर्टिंग क्लब में शामिल होने का मौका मिला. यहीं से उनके पेशेवर फुटबॉल करियर की शुरुआत हुई. इसके बाद उन्होंने कई भारतीय क्लबों जैसे मोहन बगान, ईस्ट बंगाल, बेंगलुरु एफसी आदि के लिए खेला. विदेशों में भी उन्होंने अपना जलवा बिखेरा. स्पोर्टिंग क्लब लिस्बन एंड बेइरा-मार (पुर्तगाल), ड्रुक युल यिन (भूटान) और धकका (बांग्लादेश) जैसी टीमों के साथ भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया.

गोल मशीन और कप्तान के रूप में शानदार प्रदर्शन

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12 जून 2005 को पाकिस्तान के खिलाफ मैच से सुनील छेत्री ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. भारत के लिए कुल 145 मैच खेल चुके हैं, जो कि एक रिकॉर्ड है. इन मैचों में उन्होंने 83 गोल दागे हैं, जो उन्हें भारत के सर्वोच्च गोलदस्त खिलाड़ी बनाता है.

उनकी गोल करने की मशीन की उपाधि सार्थक साबित होती है. मैदान पर उनकी तेज रफ्तार, गेंद को नियंत्रित करने का हुनर और गोल दागने की क्षमता अद्भुत है. उनकी मौजूदगी से विरोधी टीमों के पसीने छूट जाते थे.

2017 में उन्हें भारतीय फुटबॉल टीम का कप्तान बनाया गया. कप्तानी करते हुए उन्होंने टीम का उत्साहवर्धन किया और कई यादगार जीत दिलाई. उनकी कप्तानी में भारत ने कई रैंकिंग हासिल की और एशियाई फुटबॉल में एक मजबूत टीम के रूप में उभरा.

विश्व पटल पर चमकता भारतीय सितारा

सुनील छेत्री की उपलब्धियां सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रहीं. वो दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा एक्टिव इंटरनेशनल गोलदस्त खिलाड़ी हैं. वो लियोनेल मेस्सी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसे दिग्गजों की लीग में शामिल हैं

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